ज्ञान सरोवर ( आबू पर्वत ),०१ सितम्बर २०१७ । आज ज्ञान सरोवर स्थित हार्मनी हॉल में ब्रह्माकुमारीज एवं आर ई आर एफ की भगिनी संस्था ,”मेडिकल विंग’ के संयुक्त तत्वावधान में एक अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। सम्मलेन का मुख्य विषय था -” माइंड ,बॉडी ,मेडिसिन -करिश्मा सृजन -जीवन उत्सव “ . इस सम्मलेन में बड़ी संख्या में प्रतिनिधिओं ने भाग लिया . दीप प्रज्वलित करके इस सम्मेलन का उद्घाटन सम्पन्न हुआ.
ब्रह्मा कुमारीस के कार्यकारी सचिव राजयोगी मृत्यंजय जी ने आज का अध्यक्षीय प्रवचन दिया। आपने कहा की यह सम्मेलन सामान्य सम्मेलन नहीं है बल्कि यह अनेक लोगों के ज्ञान चक्षु को खोलने वाला सम्मेलन है। यह सम्मेलन जीवन उत्सव को मनाने का सम्मेलन है। अगर आपने मैडिटेशन सीख लिया तो हर जन्म में आप हर प्रकार की परेशानी से मुक्त हो जाएंगे। आत्मा की सारी बीमारी समाप्त हो जायेगी। आप समाज के लिए उपयोगी हो जाएंगे और समाज का उपकार कर पाएंगे। यहां आकर आप डबल डॉक्टर बन कर जाएंगे। आपको मेरी शुभ कामनाएं।
राजयोगिनी दीदी डॉक्टर निर्मला जी , निदेशक ,ज्ञान सरोवर ने अपना आशीर्वचन इन शब्दों में दिया। आपने कहा की इस सम्मेलन मैं आप सभी का स्वागत है। यह एक अलग किस्म का सम्मेलन है। इस सम्मेलन में आप जानेंगे की आपको किस प्रकार अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन के साथ समन्वय लाना है ?? आज कल अधिकांश रोगी – मानसिक नकारात्मकता के कारण बीमार पड़ रहे हैं। उनको दवा के साथ साथ नकारात्मकताओं से मुक्ति का भी मार्ग बताना चाहिए। मैडिटेशन हमारी मदद करता है – हमें सकारात्मक बना देता है। इससे बीमारियां समाप्त होती हैं। मैडिटेशन से मन में दया करुणा और सहानूभूति पैदा होती है। इससे रोगी जल्दी रोग मुक्त हो जाते हैं। मैडिटेशन हमें धैर्य रखना सिखाता है ,हमें सशक्त बनाता है। हम अधिक बेहतर डॉक्टर बन पाते हैं। हमारा लालच ख़त्म होता है। हम भ्रस्टाचार से अलग हो पाते हैं। अतः ध्यान का अभ्यास करना जरूरी है।
चिकित्सा प्रभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक मेहता ने अपने उदगार इन शब्दों में प्रकट किये। आपने कहा की आप इस सम्मलेन में जानेंगे की आप हैं कौन ? आप अपने जीवन की यात्रा यहीं से शुरू करेंगे। अब आप डबल डॉक्टर्स बनने वाले हैं। मुझे विश्वास है की यह पूरा सम्मेलन आपके लिए यादगार रहेगा। आज तनाव जनित बीमारियों की वजह से रोगी मर रहे हैं। पहले ऐसा नहीं था। पहले संक्रामक बीमारियों से लोग मरते थे। यहाँ आपको तनाव मुक्ति की विधि बतायी जाएगी। उसको सीख कर आप हर प्रकार की बीमारियों पर विजय प्राप्त कर लेंगे।
चिकित्सा प्रभाग के उपाध्यक्ष डॉक्टर प्रताप मिड्ढा ने कहा की मेरा मानना है की डॉक्टर्स की पहली प्राथमिकता है लोगों को शिक्षित करना – अच्छी आदतों के बारे में , रोग मुक्ति के बारे में। मगर दुखद है की डॉक्टर्स भी गंभीर नहीं हैं की व्यसन किस प्रकार से हमारे लिए हानिकारक हैं। शायद इसी लिए अनेक डॉक्टर्स भी व्यसन के आदी है और उसकी उपयोगिता भी प्रमाणित करना चाहते हैं। यह अनुचित है। हमें चाहिए की हम रोगी को पूर्णता के साथ मुक्ति प्रदान करें। डबल डॉक्टर्स की यही जरूरतें हैं। डॉक्टर्स को विद्यार्थियों को व्यसनों के बारें में शिक्षित करना चाहिए। यह बड़ी जिम्मेवारी है। मगर संभव है। मैं चाहूंगा की प्रत्येक अस्पताल में एक ध्यान कक्ष होना चाहिए जहां रोगी अपनी आतंरिक शांति को महसूस कर सके।
रमेश मित्तल ,चांसलर, मेडी कैप्स विश्वविद्यालय ,इंदौर ने कहा की रोगी आपके पास आते हैं तो आपको भगवान् मानते हैं। आप उनके साथ न्याय करिये। उनपर ध्यान दीजिये। धन तो आपके भाग्य में जितना है वो मिलेगा ही। बिना आशीर्वाद का धन बेकार है , उसमें बद दुवाएं समायी हैं। ईमानदारी को अपनाईये। मैं इनसे अभिभूत हूँ। इनका त्याग तपस्या काबिले तारीफ है। मैं इनसे सीखना चाहता हूँ।
गृह सचिव ,चंडीगढ़ शाषन ,अनुराग अग्रवाल ने कहा की स्वयं को अनासक्त बनाये रखना बड़ी बात है। इसके लिए योग और ध्यान की काफी जरूरत है। यह संस्था पूरी दुनिया में ध्यान सिखा रहा है। हम सभी ध्यान सीख कर ही जाएंगे।
हमारे जीवन सब कुछ है मगर कुछ लुप्त भी है। यहां आज हम उस लुप्त प्रायः तत्व को महसूस कर रहे हैं। वह है हमारा भारत का आध्यात्म। मैं उसी ज्ञान की तलाश में यहां आया हूँ। हम यहां से काफी कुछ लेकर जाएंगे। ज्ञान और योग सीखेंगे।
सामजिक कल्याण प्रभाग ,ओडिसा शाषन की अध्यक्षा , लतिका प्रधान ने आज के अवसर पर अपने उदगार प्रकट किये। वकील और डॉक्टर्स एक सामान हैं। दोनों की गलती से मृत्यु तक हो जाती है। आपको ईश्वर समान माना जाता है। आपकी सहानुभूति से रोगी स्वस्थ हो जाते हैं। आपको बुजुर्गों को अधिक बल देना चाहिए ताकि उनकी जिंदगी बची रह सके। इस कार्य क्रम में अवसर पाने के लिए मैं आप सभी की आभारी हूँ।
मेक्स हेल्थ केयर ग्रुप दिल्ली के मुख्य कार्यकारी सचिव राजित मेहता ने कहा की विगत २ दिनों से मैं काफी रिलैक्स्ड फील कर रहा हूँ। यहां के निवासी विनम्रता के साथ गजब की सेवा कर रहे हैं।
आपसे अनुरोध है की आप आर्ट ऑफ़ मेडिसिन – सीखिए। यह विज्ञान नहीं है। यह सेवा है – प्रेम का , सहानुभूति का और करुणा का। रोगियों के साथ राफ्ता कायम करें। यह सर्वाधिक जरूरी है।